Garh Ganga गढ़मुक्तेश्वर एक छोटी सी नगरी है जो की भारत के राज्य उत्तरप्रदेश के जिला हापुड़ में स्थित है यह शहर गढ़वाल राजाओ की राजधानी में था जिसके कारण इसका नाम गढ़ रख दिया था |
Garh Ganga जो की हापुड़ से करीब 40 KM कि दुरी पर है ,और अगर Meerut की बात करे तो 42 km दुरी मापी गयी है | यह नगरी गंगा के किनारे बसी हुई है जिसके कारण इस छेत्र को खादर भी कहा जाता है
Garh Ganga गढ़ मुक्तेश्वर ऐतिहासिक महत्त्व
Garh Ganga पुराने इतिहास के अनुसार महाभारत के समय में गढ़मुक्तेश्वर हस्तिनापुर का हिस्सा था मुक्तेश्वर शिव मंदिर और प्राचीन शिवलिंग कारखण्डेश्वर यहीं पर स्थित है
यहां एक बहोत ही प्रिशिद्ध कुआ नक़्क़ा कुआ भी स्तिथ है | माना जाता है इस कुए का पानी का स्रोत्र गंगा से ही है अगर कुए में एक पत्थर भी डाले तो वह गंगा में जा पहुँचता है |
Garh Ganga (गढ़मुक्तेश्वर) में एक प्राचीन माँ गंगा मंदिर है जो बहोत ही प्रिशिद्ध है | लोगो के अनुभव से माना जाता है की जब श्रद्धालु माँ गंगा मंदिर की सीडी पर चलते है तो पानी की आवाज को महसूस करा जाता है मानो जैसे पानी में चल रहे हो |
भगवान मुक्तीश्वर (शिव) के दर्शन करने से अभिशप्त शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी, इसलिए इस तीर्थ का नाम ‘गढ़ मुक्तीश्वर’ (गणों की मुक्ति करने वाले ईश्वर) है | इन्ही सब कारणों की वजह से Garh Ganga (गढ़मुक्तेश्वर) काफी जयादा प्रशिद्ध तीर्थ माना जाता है |
Garh Ganga मेला
Garh Ganga की पावन नगरी में हर वर्ष अनेक मेलो का आयोजन किया जाता है | कार्तिक पूर्णिमा , मकर संक्रांति, पूरनमासी ,इक्कासी,मावस दशहरा जैसे पवित्र अवसर पर यहाँ पूजा और स्नान की अलग विवस्था करि जाती है |
शिवरात्रि के अवसर पर भी यहाँ एक बड़े मेले का आयोजन होता है | शिवरात्रि के अवसर हरिद्वार की तरह आस पास के लोग महादेव को स्नान कराने के लिए कावर उठाते है | और भोले के नाम को जपते हुए अपने सफर को तय करते है |
Garh Ganga कार्तिक पूर्णिमा मेला
गढ़ गंगा मेले का सबसे प्रशिद्ध मेला कार्तिक पूर्णिमा मेला है | भारत का सबसे बड़ा मेला जिसे छोटा कुम्भ भि कहा जाता है जहा हर वर्ष लाखो लोग पहुचते है | जो कि कातक माह के अन्त में दीपावली ,गोवर्धन और भैया दूज के बाद पूरनमासी से 10 दिन पहले से सुरु होता है | करोड़ो कि लागात के बाद सरकार इस मेले का आयोजन करती है जो की हापुड़ जिले कि देख रेख में होता है |
गढ़ गंगा मेले का सबसे प्रशिद्ध मेला कार्तिक पूर्णिमा मेला है | भारत का सबसे बड़ा मेला जिसे छोटा कुम्भ भि कहा जाता है जहा हर वर्ष लाखो लोग पहुचते है | जो कि कातक माह के अन्त में दीपावली ,गोवर्धन और भैया दूज के बाद पूरनमासी से 10 दिन पहले से सुरु होता है | करोड़ो कि लागात के बाद सरकार इस मेले का आयोजन करती है जो की हापुड़ जिले कि देख रेख में होता है |
मेले की तैयारी लगभग 2 महीने पहले शुरू हो जाती है | मेले के छेत्र फल को खाली करा जाता है जिसमे वहा के आम लोग ईख कि फसल उगते है | वैसे तो कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेले महाभारत काल से चला आ रहा है |
इन दिनों लोग मेले में पिकनिक मनाने भि जाते है | 10 दिन के इस मेले कि काफ़ी विशेषथा है , (जाट) जाति के लोग मेले में झोटा बुग्गी ,बैल बुग्गी , ट्रेक्टर ट्राली जैसे साधन से पहचुते है लाखो श्रद्धालु वहा अपने टेंट तम्बू लगाकर अपना रहन बसेरा करते है और मेले के आनंद उठाते है , मेला का कई सेक्टर में विभाजन होता है जैसे Meerut सेक्टर, Delhi सेक्टर आदि |
मेले में अलग अलग बाजार लगते है जैसे (मीना बाजार- यह बाजार औरतो के लिए लगता है इसमें औरतो का सभी सामान मिलता है) , (लाठी बाजार – लाठी बाजार में काफी अलग अलग तरह का सामान मिलता है जैसे पूर्वजो कि निशानी काफी तरह कि लाठी मिलती है , घोड़ो के श्रृंगार का सामान , बैलो के श्रृंगार का सामान ,किसान के लिए खेती के उपप्करण आदि |
Garh Ganga इस इतहासिक मेले में काफी सारे खेल प्रद्रशन भी भी होते है जैसे बैलो कि दौड़ ,झोटों की दौड़ , कुश्ती रागनी , चिड़ियाघर , किसान जागरूक केंद्र ,| मेले काफी बड़ा होता है इसमें बच्चो के पीपनी गुब्बारे के साथ बड़े बड़े झूले नयी नयी तरह की अद्भुत चीजे भी दिखाई पड़ती है | इस भारतीय मेले में घोड़ो , और गधो का व्यापारिक मेला भि लगता है | मेले के आखिरी दिन श्रद्धालु दीप दान करते है | दीप दान क्यू करा जाता है और दीप दान का इतिहास नीचे पढ़े
Garh Ganga कार्तिक पूर्णिमा मेला और दीप दानइतिहास
Garh Ganga इतिहास के अनुसार जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ और पांडवो को राज पाठ सोपा जा रहा था तो उनकी आंखे नम हो गयी और वह वियाकुल हो उठे जिसको देखकर भगवान श्री कृष्ण से रहा नहीं गया और उन्होंने ऋषि मुनि से सलाह कर वो पांडवो को गढ़ गंगा के घाट ले आये और सभी को आस्था कि डुबकी लगवई पांडव घाट पर कई दिन डेरा डाल कर रहे | और जो युद्धि में सेकड़ो सैनिक उनके सम्बन्धी उनके परिवार के मृत लोगो कि आत्मा कि शांति के लिया कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीप दान कराया
गढ़ मुक्तेश्वर मुख्य व्यापार
उन दिनों यहाँ इमारती लकड़ी, बाँस आदि का व्यापार होता था, जिसका आयात दून और गढ़वाल से किया जाता था। इसके साथ ही यहाँ गुड़ – गल्ले की बड़ी मंडी थी। यहाँ का मूढा़ (मूढ़ा— बाँस के कमची और मूज के सुतली से बना बैठने का गोलनुमा मचिया होता है) उद्योग भी अति प्राचीन है। यहाँ के बने मूढे़ कई देशों में निर्यात किये जाते हैं।
Garh Ganga पुराने समय में गढ़मुक्तेश्वर में इमारती लकड़ी बॉस कि लकड़ी और बॉस कि खरपच्ची से बने (मूढ़ा जो की कुर्सी कि तरह बैठने का साधन) होता है इन सब की वियापार होता था | बीते पिछले कुछ साल में लोगो ने पानी कि कमि ना होने के कारण तरबूज , खरबूज ,ईख आदि का वियापार भि शुरू कर दिया | कार्तिक पूर्णिमा मेला लोगो एक काफी बड़ा वियापार देता है जिसमे लोग अपनी अलग अलग तरह की दुकान लगाते है ,चटाई बनाकर उन्हें मेले में बेचते है जो किअब लोगो का एक किसम से मुख्य वियापार बन गया है |
Garh Ganga UP
Garh Ganga उत्तर प्रदेश के जिला हापुड़ में नेशनल हाईवे 9 पर स्तिथ है जो की दिल्ली और मुरादाबाद को जोड़ता है | गढ़मुक्तेश्वर की दिल्ली से कुल दुरी लगभग 85 KM है | उत्तर प्रदेश कि रोडवेज सुविधा आनंद विहार से उपलब्ध है | गढ़मुक्तेश्वर जाने के लिए रेल गाड़ी सुविधा भी उपलब्ध है यहाँ का मुख्य रेलवे स्टेशन ब्रजघाट है जो की गढ़मुक्तेश्वर से 5 KM की दुरी पर है | एक छोटा स्टेशन गढमुक्तश्वर में भी है |