पुलिस ने इंटरनेशनल किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट के गरोह का किया खुलासा। गरोह दिल्ली से बांग्लादेश तक था कनेक्ट, 5 लाख का लालच देकर डोनर्स को फसाकर खुद कमाते थे 30 लाख।
किडनी ट्रांसप्लांट गैंग का जाल दिल्ली से बांग्लादेश तक फैला हुआ है। जाँच के बाद पता चला है की यह किडनी वियापारि 2019 से करते थे यह काम। बांग्लादेश के आरोपित रसेल ने बताया है की शुरू में खुद की किडनी दान कर आया था इस धंदा के प्लान, उसके बाद उसने एक गरोह बना लिया। सर्जेरी के बाद बांग्लादेश का निवासी इफति बना गैंग का पहला सदस्य और फिर पहुंच गए भारत।
गरोह के सदस्य बांग्लादेश में किडनी पीड़ित रोगियों और डोनर्स से संपर्क को बनाये रखते थे उसका बाद डोनर्स को भारत लाकर सर्जेरी करता थे। मास्टरमाइंड रसेल गरोह के सदस्य इफति को कमाई का 20-25 प्रतिशित हिस्सा देता था।
गरोह का दूसरा सदस्य मुहम्मद रोकोंन उर्फ़ राहुल सरकार ने भी रसोल कि तरह पहले पीड़ित को अपनी किडनी दान की थी उसके बाद उसका संपर्क रसेल से हुआ और उसने भी गरोह का सदस्य बनने कि ठानी। गरोह में उसको रसेल के कहने पर किडनी डोनर और पीड़ित के जाली कागज तैयार करता था।
किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट बिचौलिया कि अहम् भूमिका
आरोपियों से जानकारी के बाद बताया कि डोनर और रेसिएवेर को जसोला के फ्लैट में रखा जाता था जो की दिल्ली में स्तिथ है। इसके बाद डोनर को अस्पताल ले जाकर उसकी सर्जेरी कराई जाती थी। गरोह के पास से कई फर्जी बांग्लादेश हाई कमीशन दस्तावेज बरामद हुए है, दिल्ली और नॉएडा के दो नामी डॉक्टर ,डॉ विजय कुमारी और उसके साथी द्वारा NCR के प्रमुख अस्पताल में सर्जेरी होती थी।
कम रुपये में भी मान जाता था किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट गरोह
दिल्ली पुलिस ने कि जाँच के खुलासे में पता चला है की आरोपी डोनर्स को कुल 5 लाख रकम देते थे जबकि रेसिएवेर से किडनी के बदले 30 लाख लेते थे। कई रेसिएवेर सौदा करते थे और 20 लाख रुपय में ही गरोह को मना लेते थे। गरोह के सदस्य काम को जल्द से जल्द अंजाम देने के लिए 20 लाख में भी सहमत हो जाते थे।
गरोह से बरामद वस्तु
आरोपियों के पास बचने के सभी उपाय थे पर दिल्ली पुलिस ने भी अपना काम बखूबी निभाया, आरोपियों के पास डॉक्टर, नोटेरी पब्लिक,फर्जी आधारकार्ड, स्टीकर, स्टाम्प पेपर, पैन ड्राइव, हार्डडिस्क, दो लैपटॉप, 8 मोबाइल फ़ोन, कई प्रमुख लोगो कि मोहर और किडनी डोनर्स कि 6 फर्जी फैल।
ऐसे फसे पीड़ित जाल में
जानकारी के बाद पता चला है कि बांग्लादेश के अस्पतालों में जाकर आरोपी किडनी रोग पीड़ित को को झूट बोलकर पैसे और नौकरी के झांसे में फ़साते थे। उसका बाद व्ही से किडनी डोनेट कि विवस्था बनाते ,और फिर भारत लाकर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते थे।
गरोह के आरोपित के नाम और काम
- रसेल– बंगलादेश का निवासी 2019 में भारत आया था, उसने कक्षा 12 वि तक पढ़ाई करि है।
- मोहम्मद रोकोन-बंगलादेश का निवासी रसेल के कहने पर फर्जी दस्तावेज तैयार करता था।
- रतेश पाल-त्रिपुरा निवासी रतेश पाल काम होने पर सभी केश के 20 हज़ार रूपए लेता था।
- विक्रम-उत्तराखंड का निवासी है जो की अब फरीदाबाद में रह रहा है।
- शारिक– यूपी में रहना वाला सारिक डॉ, और निजी सहायक से कनेक्शन रखता था।
- डॉ विजय कुमारी-दो बड़े अस्पतालों में किडनी सर्जन है जो डोनर्स कि सर्जेरी करती थी।
निष्कर्ष
दिल्ली पुलिस के दुआबार किया गए खुलासा से यही साफ पता चलता है कि किडनी ट्रांसप्लांट के नाम पर एक इतना बड़ा धोका हो रहे है। जो भारत से लेकर बांग्लादेश तक चल रहा है। यह गरोह गरीब और बेसहाय लोगो को कुछ पैसे का लालच देकर उनकी किडनी बेचता और मोटी रकम कमा लेते। इन भ्रस्ट डाक्टर की मदद से कई लोगो को शिकार बनाया।